फतहनगर। जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए गुरुदेव कोमल मुनि म. सा ने फ़रमाया कि आत्मा की मूल स्थिति हमें प्रभु परमात्मा ने बताई है और हम अभी स्वीकार भी करते हैं कि मै आत्मा हैं पर आत्मा के कारणों को स्वीकार नहीं करते। हमारे कर्मों के आवरणो के कारण हमें आत्मा की स्थिति का अनुभव नहीं होता। हमारे पूर्व जन्म के संस्कार हैं जो भवों भवों तक चलते हैं। यदि शाश्वत सुख पाना हो तो संस्कारों को आत्म चिंतन करना होगा। आज की जनरेशन में सभी मन को ज्यादा इंपोर्टेंस देते हैं, आत्मा को नहीं, यदि हम आत्मा को ज्यादा इंपोर्टेंस देते तो आप तो कोई टेंशन नहीं होती पर आज सभी को किसी न किसी बात की टेंशन रहती है।
उपदेश कोई सुनने का विषय नहीं है। उपदेश तो आचरण करने का विषय है। अतः उपदेशों का जीवन में ज्यादा से ज्यादा आचरण करें। आत्मा तो मालिक है और मन उसका नौकर है मगर हम मन को मालिक एवं आत्मा को नौकर बना रहे। जिसे आत्मा का नॉलेज हो जाता है उसके जीवन में परिवर्तन हो जाता है। आज हम दौलत के पीछे बहुत दीवानी हो रहे हैं। यह दौलत आपको दो लात मार कर वह छोड़ देगी। इसलिए जीवन मे दौलत के पीछे नहीं धर्म के पथ पर आगे बढ़े जो आपका हमेशा साथ देगा।
धीरज मुनि म. सा एवं रमेश मुनि म सा ने भी धार्मिक प्रवचन दिया। आज गुरुदेव के सानिध्य में दया व्रत का भी आयोजन हुआ जिसमें सैकड़ों श्रावक श्राविका ने भाग लेकर धर्म आराधना की। मुमुक्षु विनय भंडारी ने धार्मिक प्रतियोगिता का संचालन कर सभी को धार्मिक प्रवृत्ति में अग्रसर किया। धार्मिक प्रतियोगिता मे अंताक्षरी, संगीत चेयर, दम सराज और ध्यान प्रतियोगिता हुई।
फतहनगर - सनवाड