फतहनगर। पावनधाम में शुक्रवार को धर्मसभा को संबोधित करते हुए कोमल मुनि म.सा. ने फ़रमाया कि मानव जीवन बड़े पुण्य से मिलता है। उपलब्धि का होना इतना महत्व का नहीं है जितना उसका सही दिशा में उपयोग करना है। हम जीवन कितना जिए यह महत्व की बात नहीं है पर कैसे जिया यह महत्व की बात है। आज का इंसान स्वयं की जिंदगी को भौतिकता में अंधा बन व्यर्थ में जिंदगी बर्बाद किए जा रहा है। तनिक भी संयम के बारे में ज्ञान नहीं है कि मुझे कैसे जीवन जीना है जिससे मेरा जन्मो जन्म के बंधन टूट जाए।
कथनी और करनी का जहां भेद होगा वहां जिंदगी नासूर होगी। जो गलत करता है उसकी आत्मा हमेशा बेचैन रहती है और जो सही करता है उसकी आत्मा हमेशा चैन की नींद लेती है। स्वयं के प्रति न्याय करना एवं जीवन को धर्म की ओर मोड़ना ही न्याय है। सत्य,संयम,सरल,विनय आदि गुण ही हमारी मौलिक संपत्ति है। धीरज मुनि म.सा. एवं रमेश मुनि म.सा. ने भी धर्मसभा के दौरान व्याख्यान दिए। शनिवार को प्रातः 9.15 बजे गुरुदेव कोमल मुनि म. सा. आदि ठाणा एवं महासती राजमती जी म. सा के सानिध्य मे नव वर्ष की महामांगलिक एवं नवकार महामंत्र का जाप तथा प्रवचन होगा।