मावली( नरेश शर्मा )। उपखंड क्षेत्र के शिक्षक नेता, धर्म प्रेमी , युवा समाजसेवी हरदिल अजीज गोपाल कृष्ण भट्ट (पुत्र दिवंगत शिक्षक नेता समाजसेवी श्याम सुंदर जी भट्ट) का शनिवार-रविवार की मध्य रात्रि को अचानक हार्ट अटैक आने से रविवार तड़के साढ़े तीन बजे उदयपुर के हॉस्पिटल में निधन हो गया। यह खबर जंगल मे आग की तरह फैलते ही उनके परिवार जनों, रिश्तेदारों, ग्रामवासियों, गुर्जरगौड़ ब्राह्मण समाज जनों,शिक्षक समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई।
लगभग 50 -52 वर्षीय गोपाल भट्ट के नहीं रहने की खबर जिसने भी सुनी,सहसा विश्वास नहीं हुआ, लेकिन इस कटु सत्य को स्वीकारना ही पड़ा।
मृदुभाषी, मिलनसार स्वभाव के गोपाल कृष्ण ने छोटी उम्र में ही अपने पिताजी के सानिध्य में भागवत कथा का अभ्यास शुरू कर दिया था। मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर उनके साथ कथाओं में शामिल भी हुए, स्वतंत्र रूप से खुद भी कथाएं की। वह कुशल वक्ता, मंच संचालक थे।
धार्मिक आस्थाएं ऐसी कि सुन्दर काण्ड नियमित करते। मावली के रामा दल के प्रमुख संस्थापक सदस्य थे। जो मंगलवार व शनिवार को सुन्दर काण्ड पाठ रखता या किसी के निमंत्रण पर उनके यहां निशुल्क करने जाते। ऐसा लगता था कि माँ सरस्वती उनके कण्ठ में विराजमान थी। यह भी अजीब संयोग रहा कि माँ शारदे ने बसन्त पंचमी की रात्रि को उन्हें अपने चरणों में बुला लिया।
गोपाल भाई विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे। उन्हें 2020 में अखिल भारत वर्षीय गुर्जरगौड़ ब्राह्मण महासभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया था। कुछ दिन पहले ही उनसे 26-27 फरवरी को हरिद्वार में प्रस्तावित मीटिंग में जाने को लेकर चर्चा हुई थी।
गोपाल के देवलोकगमन की सूचना मिली तो याद आया कि उनके पिताजी श्याम सुंदर जी भी ऐसे ही अचानक हार्ट अटैक से गए थे। उस समय के उनके धैर्य और साहस की एक घटना याद आ गई। पिता जी की अर्थी को जैसे ही उठाकर घर से बाहर लाए, उनकी एक बहन ने लगभग दौड़ते हुए उनको नहीं ले जाने देने को झूम गई। यह भावावेश प्रायः देखने को मिलता है। लोगों ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह वहाँ से नहीं हटी। गोपाल अर्थी से कन्धा दूसरे को सम्भला कर, बहन को गोद मे उठा कर घर छोड़कर आया। पिता जी के जाने के बाद उन्होंने अपनी मां का बहुत खयाल रखा। लेकिन वृद्धावस्था में यह हृदयविदारक घटना उनको कितना कचोट रही होगी , जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। काकी सा के साथ मुझे बद्रीनाथ यात्रा का अवसर मिला था, उनका मातृत्व प्रेम सदैव याद रहेगा।
गोपाल भाई अपने परिवार में माँ सुशीला जी , पत्नी कलावती व पुत्र ज्योतिष -पुत्री ज्योत्सना, श्रीमती कमला देवी जी-पत्नी स्व. गणेश लाल जी चाष्टा कपासन भुवा सा-फूफा सा, ताऊजी रघुनन्दन जी भट्ट , रमेशचंद्र जी (चाचा जी), ताऊजी के पुत्र राजेंद्र उर्फ गोविन्द ( भाई ), अमृतांशु भतीजे, बहन-बहनोई ललिता-गोविंद माधव जी चतुर्वेदी गंगरार, हेमलता-महेंद्र जी शर्मा दौसा, लीला-रवि जी जोशी देवगढ, कुसुम-योगेश जी उपाध्याय नाथद्वारा-उदयपुर एवं ताऊजी की पुत्रियों लक्ष्मी-सुरेश जी जोशी कांकरोली, मंजू -देवदत्त जी द्विवेदी गंगरार, सरोज-सत्य नारायण जी व्यास हमीरगढ़, ममता-राजेश्वर जी त्रिपाठी नाथद्वारा, अंजना-राकेश जी त्रिपाठी रायपुर , अक्षिता (चारु),₹,अर्पिता(जया) भतीजी ,भांजे-भांजियों,भुवा जी के पुत्र बड़े भाइयो ओम प्रकाश, भरत कुमार का भरापूरा परिवार छोड़ गए ।
भीलवाड़ा जिले के बागौर निवासी स्व.राधेश्याम जी शर्मा उनके ससुर थे। सूर्यप्रकाश जी, ओमप्रकाश जी, सुरेंद्र कुमार जी , रामनिवास (साला जी) हैं। कुरज निवासी स्व.शंकर लाल जी जोशी आपके नानाजी थे। बुद्धि प्रकाश जी व भगवती लाल जी जोशी मामा जी हैं।
भट्ट परिवार से निकट रिश्तेदारी के कारण गोपाल भाई की तरह था। उसका इस प्रकार अचानक चले जाना न सिर्फ परिवार पर भारी वज्रपात है, अपितु सभी मित्रों, स्वजनों को भी उनकी कमी सदैव खलेगी।
गाँव री खबरां परिवार की ओर से उनकी आत्मा को नमन, विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
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