फतहनगर। नानेश कॉलोनी परिसर स्थित हनुमान मंदिर के प्रांगण में श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ के सातवें दिन की कथा में सत्राजित प्रसंग, सामंतक मणि चोरी कथा, कृष्ण जामवंत यद्ध, जामवंति से विवाह, सूर्यपुत्री कालिन्द्री से विवाह, भौमासुर वधकर 16100 विवाह, शिशुपाल वध, द्रोपदी चीरहरण सुदामा चरित्र एवं श्री कृष्ण के साकेत प्रस्थान की भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई।
समापन के दिन आगे कहा कि प्रभु के साकेत जाने पर भी श्रीमद्भागवत रूप में सदैव विद्यमान है। साधक योगी को चाहिए कि आत्मा निर्मल योगमय रहे। जैसे समुद्र में हजारों नदियाँ के जल से भी बाढ़ नहीं आती है वैसे ही रहे। भंवर की तरह सार संग्रहित करें, मधुमक्खी की तरह धन एकत्रित न करें, बालक की तरह भूलना चाहिए, शरीर गंदगी का भंडार है इससे मोह नहीं करें, मरण को सुधारने के लिए हरिस्मरण करें।
जैसे जहर जानकर या अनजान में खाने पर भी मृत्यु निश्चित है वैसे ही भाव अथवा कुभाव से किया कीर्तन सदैव कल्याणकारी ही है।जिस घर में रामायण, गीता, भागवतजी रहती है वह तीर्थ स्थल ही है।
आज प्रातः हवन किया गया। सात दिवसीय सम्पूर्ण आयोजन का संचालन कन्हैयालाल अग्रवाल द्वारा किया गया। सभी के सम्मान के साथ आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
फतहनगर - सनवाड