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फतहनगर - सनवाड

रामलीलाः तीसरे दिन सीता स्वयंवर का किया मंचन

फतहनगर। जिसमें रावण बाणासुर जैसे वीर योद्धा आते हैं,धनुष तोड़ने की तो बात दूर रही धनुष किसी से हिलता भी नहीं। यह देख राजा जनक को बहुत ग्लानि होती है कि पुत्री सीता बिन ब्याही रह जाएंगी। उस पर वह राजाओं को धिक्कारने लगते हैं कि यह धरती वीरों से विहीन है। यह बातें सुन अनुज लक्ष्मण को बहुत दुख होता है और कहते हैं कि हे राजन यह धरती वीरों की है। जिस दिन वीर नहीं होंगे उस दिन यह धरती रसातल को चली जाएगी। राजन आप अपने बचन संभालकर कहिए। हमारे भैया का आदेश हो और गुरुजी का तो इस धनुष की क्या बिसात पूरा ब्रह्मांड उठा सकता हूं। इस पर राम जी खड़े होते हैं और कहते हैं अनुज इतना क्रोध करना उचित नहीं है। फिर विश्वामित्र इशारा करते हैं और राम जी धनुष को तोड़ देते हैं। धनुष तोड़ते ही जयकारों से गूंजने लगता है पूरा पंडाल। जय श्रीराम के जयघोष होने लगते हैं। यह मनोहारी प्रसंग काशी के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। फतहनगर में चल रही रामलीला देखने के लिए रोजाना धर्मप्रेमी लोगों की भीड़ जुट रही है। तीसरे दिन कार्यक्रम में पार्षद विनोद धर्मावत,पूर्व पालिका अध्यक्ष सुनील डांगी, पार्षद हेमलता देवड़ा, भाजपा पूर्व मंडल अध्यक्ष महेश सोनी, हरीश  सिंघल,गजेंद्र सिंह रावल,राजेंद्र  मोर, प्रकाश चंद्र देवड़ा, विनोद चावड़ा समेत नगर के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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