फतहनगरं। जया किशोरी के मुखारविंद से द्वारिकाधीश मंदिर की भूमि पर चल रहे नानी बाई का मायरा कथा के दूसरे दिन भी काफी भीड़ उमड़ी। मायरे की कथा के दौरान हुंडी का प्रसंग प्रस्तुत करते हुए जया किशारी ने भक्तिमयी भजनों की ऐसी प्रस्तुतियां दी कि श्रद्धालु महिला-पुरूष अपनी जगह पर ही नृत्य करने लगे।
नियत समय दोपहर एक बजे तक कथा स्थल खचाखच भर गया। जया किशोरी ने व्यासपीठ पर आते ही खाटू नरेश एवं द्वारिकाधीश को नमन किया तथा व्यासपीठ पर विराजित होकर आगन्तुक भक्तो को आशीर्वाद प्रदान किया। दूर दराज के शहरों से आने वाले भक्तों ने जया किशोरी का अपने-अपने तरीके से स्वागत किया। कुछ भक्तों ने अपने हाथों से बनाई जया किशोरी की तस्वीर भी भेंट की। मायरे का आगाज गोविंद बोलो……. कीर्तन के साथ किया गया। गोपी-उद्धव संवाद का जिक्र करते हुए जया किशोरी ने प्रेम को परिभाषित किया। सच्चे प्रेम और स्वार्थ भरे प्रेम के बीच का अंतर बताते हुए कहा कि प्रेम जब स्वार्थ भरा होता है तो परेशानियां आती है।
मायरे में हुंडी का प्रसंग आया तो लोग भाव विभोर हो गए। कई मायने में नानी बाई का मायरा व्यापार जगत में हुंडी के महत्त्व को समझता है,इसलिए यह नानी बाई का मायरा कई प्रकार से ध्यान देता है। एक जीवन शैली देता है। नानी बाई का मायरा सभी परिवारों की एक कहानी है। यही किरदार अपने निजी जीवन में भी सभी को ठाकुर जी बंन कर निभाने होते हैं। मायरा ही सभी के जीवन का सार है। जया किशोरी ने आगे कथा जारी रखते हुए संगत पर विशेष जोर देने के लिए कहा। उन्होने कहा कि आप की संगत जैसी होगी वैसी आप की रंगत होगी और यह मानवीय बात भी है कि आप जिस की संगत में रहते हैं उसका असर आना जरूरी भी है। इस जीवन में सबसे बड़ा रोग है कि लोग क्या कहेंगे। लोगों के ऊपर कभी ऐसी बातों पर विश्वास ना करें। लोग तो लोग हैं। लोग तो कुछ भी बोलेंगे। उनके बोलने से आप अपना कर्म ना बदले। अपना कर्म करते रहें। काम वह करें जो भगवान उसको पसंद करें। आप जो काम कर रहे हैं अगर भगवान को पसंद है, तो वह काम आप हमेशा करते रहें। बाजार में आप बुराई ढूंढने ना जाएं। बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोई….। इन लोगों के माध्यम से पांडाल में बेठी जनता को कई प्रकार के मैसेज दिए जो उनके जीवन में आगे चलकर के काम आएंगे। कथा के माध्यम से जया किशोरी जो मैसेज दे रही है अगर इनको लोग जीवन में अंगीकार कर ले तो परिवर्तन तय है। हरि अनंत हरि कथा अनंता, आज कथा के दौरान नरसिंह महाराज नगर अंजार के लिए बैलगाड़ी में अपने संगी साथी के साथ उसमें तंबूरा रखें भजन इत्यादि की सामग्री कटिंग करके मायरा भरने के लिए रवाना हुए। रास्ते में बैलगाड़ी खराब होने पर स्वयं ठाकुर जी कारीगर बनकर आए और उन्होंने उस गाड़ी को ठीक किया और नरसिंह जी से गाड़ी ठीक करने का मेहनताना मांगा। इस कथा में कई प्रसंग में कई प्रकार का ज्ञान छिपा है। अगर आप किसी से कोई काम करवाते हैं या मजदूरी करवाते हैं तो उसकी मजदूरी देना वाजिब बनता है। नरसी मेहता ने ठाकुर जी के नाम 700 की हुडी लिख दी जो द्वारिका में सावल सेठ भुगतान करेंगे। जीवन में आप भी अगर किसी को हुंडी लिखते हैं तो वह पास हो जाए। सभी के जीवन का पूरा सार है नानी बाई का मायरा। नानी बाई का मायरा अपने पूरे चरम पर हैं। अंतिम दिन मायरे की शोभायात्रा एवं भंडारा भी होगा जिसमें अधिक लोगों के आने की संभावनाओकं के चलते व्यापक व्यवस्थाएं की जा रही है। दूसरे दिन की कथा के विराम पर आयोजक कमेटी के सदस्यों ने मय परिवार आरती की एवं प्रसाद का वितरण किया गया।
Home>>फतहनगर - सनवाड>>फतहनगर में नानी बाई का मायरा: जैसी होगी संगत वैसी होगी रंगत -जया किशोरी, मायरा का कल होगा समापन
फतहनगर - सनवाड