-पहली बार लवीना संस्थान में रहकर देखी विद्यालय की सूरत-
उदयपुर. गोगुन्दा उपखण्ड के पड़ावली गांव के पास मदारा का रहने वाला बारह वर्ष का सुरेश भील पिता लिम्बाराम जिसने कभी विद्यालय की सूरत नहीं देखी उसको परिवार वालो ने रतलाम में भेड़ चराने वालो को दस हजार रुपए में बेच दिया।गड़रिये बालक को सुबह पांच बजे उठाते व देर रात तक काम कराते जिसके चलते बालक वहां से भाग निकला।तब बाल कल्याण समिति, रतलाम ने बालक को उदयपुर भेजा जहां बालक जीवन ज्योति सुखेर में रहा वहां से बालक सुरेश को लवीना विकास सेवा संस्थान के ओपन शेल्टर होम,ओंगना में ट्रांसफर किया जहां संस्थान निदेशक भरत कुमार पूर्बिया ने बालक सुरेश को विद्यालय में प्रवेश दिला अध्ययन कराया तब सहायक निदेशक मीना शर्मा ने बाल कल्याण समिति, उदयपुर पर दबाव बना बालक को कोटड़ा के वनवासी संस्थान के निराश्रित बालगृह में दिनांक-06/11/2022 को ट्रांसफर कराया।जहां से बालक मात्र दो दिवस में भूख व मन नहीं लगने से भाग निकला।उसके बाद बालक आज दिवस में राजसमन्द पुलिस द्वारा बालक को चारभुजा में मजदूरी करते देख बाल कल्याण समिति, उदयपुर को भेजा जहां से बाल कल्याण समिति सदस्य अंजना जोशी व डॉ संगीता राव ने बालक सुरेश भील को पुनः लवीना विकास सेवा संस्थान में रखने के संस्थान निदेशक भरत कुमार पूर्बिया को शेल्टर के आदेश दिए।सवाल ये उठता है कि कोटड़ा गृह से भागने के बाद बालक सुरेश की पढ़ाई छुटी,वो बालश्रम में पुनः शामिल हुआ।इसका जिम्मेदार कौन है? क्या बालक के भविष्य को खराब करने वाले को कोई सजा मिली?