फतहनगर। चतुर बाग स्थित पावनधाम के नवीन हाॅल में पिछले एक सप्ताह से चल रही श्रीमद् भागवत कथा का आज समापन किया गया।
अंतिम दिन की कथा का शुभारंभ प्रातः 9 बजे किया गया जिसमें कथा प्रवक्ता परम् पूज्य गुरु माँ श्री ध्यानमूर्ति महाराज द्वारा संगीतमयी प्रस्तुति दी गयी। कथा के दौरान उन्होने समरासुर वध, सामंतक मणि प्रसंग, सत्यभामा से विवाह, जामवंति से विवाह, भौमासुर वध करके 16100 विवाह,पौण्ड्रक प्रसंग, शिशुपाल वध, सुदामा चरित्र, उद्धव कृष्ण संवाद, कर्माबाई के खीचड़े की भावपूर्ण प्रस्तुति, दत्तात्रेय शिक्षा के बाद श्रीकृष्ण के साकेत प्रस्थान का मार्मिक विवेचन किया गया।
उन्होने कहा कि साधु के पीछे चलने में जीवन की सार्थकता है। पैर घसीट के चलना, दोनों हाथों से सिर खुजाना, अंगुलियों को चटकाना, भोजन चखना आदि गलत आदतें हैं। हर कार्य का अपना समय निश्चित होता है। परिवार में कुछ ठीक नहीं लगे तो रुष्ट नहीं होते हुए एक दूसरे से संवाद करना चाहिए। राम नाम कल्प वृक्ष के समान फलदायी है। हर घर में साधना, संतसेवा एवं गौसेवा के साथ सनातन धर्म का पालन करना चाहिए। प्रभु को छल कपट से नहीं केवल निर्मल मन से प्राप्त कर सकते हैं। चल अचल हर वस्तु में श्रीकृष्ण ही है। धनवान व्यक्ति सबका प्यारा हो जाता है लेकिन गरीबी अपनो को भी पराया कर देती है। कई धनी व्यक्ति नाम के लिए दान करते देखे गए हैं। धन से गरीब मन से अमीर होता है। कोई सुदामा की तरह आवे तो उसकी सहायता करें। यज्ञ पूर्णाहुति एवं कथा विराम के बाद आरती की गई एवं प्रसाद वितरण किया गया। आयोजक श्री द्वारिकाधीश महिला मण्डल ने कार्यक्रम में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सहयोग करने वालों का आभार व्यक्त किया।
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