फतहनगर। धर्म ही जीवन जीने की कला है। धर्म के बिना मनुष्य का जीवन पशु समान है। भारत कभी भी धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता क्योंकि बिना धर्म के भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। धर्म ही भारत का प्राण और आत्मा है। विवेकानंद पीड़ित मानवता की सेवा को ही धर्म मानते थे।
ये विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रान्त प्रचारक मुरलीधर ने संस्कार भारती, मावली इकाई की ओर से शनिवार को उपखंड मुख्यालय स्थित रा.उ.मा.वि. के श्री गुरुजी साधना सदन में स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य में मेधावी विद्यार्थियों की संगोष्ठी ” मैं भी विवेकानंद” में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने युवाओं व विद्यार्थियों से स्वामी विवेकानंद जैसा निर्भीक, तेजस्वी, ओजस्वी, सेवा भावी व राष्ट्र भक्ति पूर्ण जीवन जीने का आह्वान किया। संगोष्ठी में मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रमोद सुथार ने अध्यक्षता की जबकि समाजसेवी नेमीचंद धाकड़ मुख्य अतिथि थे।
मुख्य अतिथि सीबीईओ सुथार ने बच्चों को शिक्षा के साथ विवेकानंद जैसे महापुरुषों के उच्च विचारों और संस्कारो को भी जीवन में उतारने की सीख दी। मुख्य अतिथि धाकड़ ने भारतीय संस्कृति के उदात्त संस्कारो को जीवन मे उतारने का आग्रह किया । संगोष्ठी में 12वीं में 95 प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाली छात्रा भूमि गुर्जर का विशेष सम्मान किया गया वहीं सभी मेधावी विद्यार्थियों का उपरना ओढ़ाकर व तिलक लगाकर अभिनंदन किया। कार्यक्रम में मावली व खेमली ब्लॉक के 400 से अधिक छात्र छात्राओं व अध्यापकों ने भाग लिया। सभी का उपरने व तिलक से स्वागत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि और दीपक से हुई। पूर्ण वन्दे मातरम के गायन के साथ कार्यक्रम आगे बढ़ा।
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