फतहनगर। समीपवर्ती चुण्डावत खेड़ा में चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा सोमवार को विभिन्न प्रसंगों के प्रस्तुतीरण के साथ ही सम्पन्न हो गयी।
9 जनवरी से शुरू हुई इस कथा के अंतिम दिन सोमवार को भागवत कथा मर्मज्ञ पूज्य श्री लालगोविंद प्रभु ने कथा के सातवें दिन कहा कि भागवत का मुख्य उद्देश्य श्री कृष्ण प्रेम है। श्री कृष्ण प्रेम की प्रतिमूर्ति है। दुर्लभ मनुष्य जीवन का लक्ष्य ईश्वर भजन एवं प्रभु प्रेम है अन्यथा यह देह भी भार लगने लगती है। हनुमान चालीसा का पाठ करके संक्षिप्त में सुंदरकांड चरित्र का वर्णन करते हुए कहा हनुमानजी सर्वत्र व्यापक है।
कृष्ण का बृज से मथुरा गमन का वर्णन करते हुए कुब्जा उद्धार, कंस वध, जरासंध वध, श्री कृष्ण उध्दव वार्ता के साथ गोपी एवं गायों के विरह का करुणामय वाचन किया। उद्धव के गोकुल गमन पर बोलते हुए कहा कि पहला प्रेम माता पिता से होना चाहिए। उन्हें कभी दुःख नहीं देना चाहिए। इतने विरह में भी श्री कृष्ण की इच्छा के विपरीत कोई भी जीव बृज छोड़कर मथुरा नहीं गया।
उन्होने कहा कि पैसा सबके पास होता है पर विरले ही ऐसा आयोजन करवाते हैं। विशाल कथा में पधारे श्रोताओं को भाव विभोर करने वाले जयकारों के साथ कथा को विराम दिया गया।
इधर कथा के छठवे दिन आयोजित विशाल भजन संध्या भजन सम्राट जगदीश दास वैष्णव (मूंगाणा) एवं सुर लहरी लहरुदास वैष्णव के सुरीले भजनों के साथ तड़के 3 बजे तक जारी रही। सात दिवसीय आयोजन का संचालन शुभम, भगवतसिंह,सुल्तान सिंह,सुबोध पाराशर एवं सम्पूर्ण भागवत कथा संयोजन समिति सदस्यों के सहयोग से कन्हैयालाल अग्रवाल द्वारा किया गया। आज कथा आयोजन में अतिथियों के साथ सभी व्यवस्था दाताओं एवं सम्पूर्ण भागवत कथा संयोजक टीम, फतहनगर सहित सम्पूर्ण क्षेत्र से पधारे श्रोताओं का आयोजक परिवार द्वारा स्वागत, आभार एवं धन्यवाद अर्पित किया गया। श्रद्धालुओं की ओर से आयोजक चुण्डावत परिवार को आभार व्यक्त किया गया। महाआरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया एवं सभी ने महाप्रसादी में भोजन प्रसाद ग्रहण किया।
फतहनगर - सनवाड